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मिथिला दर्शन

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मिथिला मिथिला प्राचीन भारत में एक राज्य था। मिथिला वर्तमान में एक सांस्कृतिक क्षेत्र है जिसमे बिहार के तिरहुत, दरभंगा, मुंगेर, कोसी जोन, सुपौल, पूर्णिया और भागलपुर प्रमंडल तथा झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल[1] के साथ साथ नेपाल के तराई क्षेत्र के कुछ भाग भी शामिल हैं। मिथिला की लोकश्रुति कई सदियों से चली आ रही है जो अपनी बौद्धिक परम्परा के लिये भारत और भारत के बाहर जानी जाती रही है। इस क्षेत्र की प्रमुख भाषा मैथिली है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में सबसे पहले इसका संकेत शतपथ ब्राह्मण में तथा स्पष्ट उल्लेख वाल्मीकीय रामायण में मिलता है। मिथिला का उल्लेख महाभारत, रामायण, पुराण तथा जैन एवं बौद्ध ग्रन्थों में हुआ है। मिथिला नामकरण : प्राचीन उल्लेखों के सन्दर्भ में संपादित करें पौराणिक उल्लेखों के अनुसार इस क्षेत्र का सर्वाधिक प्राचीन नाम मिथिला ही प्राप्त होता है; साथ ही विदेह नाम से भी इसे संबोधित किया गया है। तीरभुक्ति (तिरहुत) नाम प्राप्त उल्लेखों के अनुसार अपेक्षाकृत काफी बाद का सिद्ध होता है। मिथिला एवं विदेह विदेह और मिथिला नामकरण का सर्वाधिक प्राचीन संबंध शतपथ ब्राह्मण में उल्

महात्मा गांधी पर हिन्दी में निबंध

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महात्मा गांधी पर हिन्दी में निबंध महात्मा गांधी को ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। मोहनदास की माता का नाम पुतलीबाई था जो करमचंद गांधी जी की चौथी पत्नी थीं। मोहनदास अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे। गांधी जी और परिवार- गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मन्दिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं। मोहनदास का लालन-पालन वैष्णव मत में रमे परिवार में हुआ और उन पर कठिन नीतियों वाले जैन धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा। जिसके मुख्य सिद्धांत, अहिंसा एवं विश्व की सभी वस्तुओं को शाश्वत मानना है। इस प्रकार,उन्होंने स्वाभाविक रूप से अहिंसा, शाकाहार, आत्मशुद्धि के लिए उपवास और विभिन्न पंथों को मानने वालों के बीच परस्पर सहिष्णुता को अपनाया। गांधीजी विद्यार